ना जाने क्यों तुझे छूने को जी करता है, ना जाने क्यों तुझे पाने को जी करता है, ना जाने क्यों तुझे छूने को जी करता है, ना जाने क्यों तुझे पाने को जी करता है,
हाथ में लेकर घूम रहे हो आतंकवाद का खंजर हर रोज बनाते जा रहे अपने देश को तुम बंजर हाथ में लेकर घूम रहे हो आतंकवाद का खंजर हर रोज बनाते जा रहे अपने देश को तुम ब...
'साहिल' शहर में..सभल के निकल। हर गली मौत का...कहर चल रहा।। 'साहिल' शहर में..सभल के निकल। हर गली मौत का...कहर चल रहा।।
ऐसे छुपा लेते हैं अपनी पहचान को चेहरे पर लगाकर हजारों चेहरे। ऐसे छुपा लेते हैं अपनी पहचान को चेहरे पर लगाकर हजारों चेहरे।
यही है मानवता की चाह हर बालक का बचपन हो बचपन जैसा। यही है मानवता की चाह हर बालक का बचपन हो बचपन जैसा।
आखिर बेटी हूं ना उनकी। आखिर बेटी हूं ना उनकी।